मेरी खुशियाँ सिर्फ मेरी नहीं होती,
बिखरा देती हूँ उन्हें अपने इर्द गिर्द।
फिर जो भी आता मेरे दायरे में,,,
ये उसकी भी खुशियाँ हो जाती हैं |
भीग जाता,,, हो जाता सराबोर वो भी,
उस खुशी की महक से ।
वो भीनी भीनी खुश्बू खुशी की,
कर देती मजबूर उसे भी खुश हो जाने को।
खुश हो कर खुशियाँ लुटाने को 😊
मेरे दुख सिर्फ मेरे अपने होते हैं
समेट लेती हूँ उन्हें अपने आँचल में।
छुपा लेती हूँ उन्हें पलकों के साये में
जो नमीं बन समाए रहते हैं पलकों तले
नहीं पड़ने देती किसी पर भी साया उन दुखों का,
कर देती हूँ दफन उन्हें दिल की गहराईयों में
ताकि न देख पाए कोई भी…
न जान जाए कोई उनकी हकीकत।
नहीं चाहती मैं,,,
कि कोई भी उदास हो
जो भी मेरे आसपास हो।
रहे सदा वो खुशहाली के साये में,
खुशियाँ पाए खुशियाँ लुटाए।
इस फूल की मानिंद,
उडा देती हूँ खुशी की महक चहूँओर |
सहेज लेती हूँ दुख रूपी काँटो को
अपने तन मन के इर्द-गिर्द |
इसी में मेरे नाम की सार्थकता है
इसी से मेरा संसार चहकता है ||